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नीतीश की अंतरआत्मा की आवाज़ आप भी सुनिए, सब समझ आ जाएगा

Nitish kumar to form government with BJP in Bihar आज की रिपोर्ट समाचार 
बिहार में एक ही दिन में सबसे बड़ा उलटफेर हो गया। सुबह नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता था, शाम में वो एनडीए में शामिल हो गए । पहले उन्होंने इस्तीफा दिया और अब एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। लालू का साथ छोड़ा और अब बीजेपी के साथ सरकार बनाएंगे। इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने जो कहा, उससे आपको हर बात का सही अंदाज़ा लगेगा।
नीतीश ने कहा, “आज तक हमने इन विषयों पर जो अपना रुख रखा है, उससे अलग हम रुख नहीं रख सकते…पूरे माहौल को देखने के बाद हमको लगा..मेरे जैसे व्यक्ति के लिए, ये हमारी अंतरआत्मा की आवाज़ है…हमने कई बार सोचा, अनेक दिनों से हमारे मन में बात चल रही थी, कोई रास्ता निकल जाए”.
‘ अब लालू के साथ आगे चलना मुश्किल’

नीतीश कुमार- 
जो स्थिति उभरकर सामने आई, अब उस माहौल में मेरे लिए काम करना मुश्किल था..हमने कभी किसी का इस्तीफा नहीं मांगा…हमारी लालू जी से भी बातचीत हुई..तेजस्वी की भी हमसे बात हुई, जो भी आरोप लगे हैं, उसके बारे में…आम जनता के बीच में जो धारणा बन रही है, उसको ठीक करने के लिए एक्सप्लेन करना जरूरी है..लेकिन अब वह भी नहीं हो रहा है..और कुल मिलाकर माहौल ऐसा होता जा रहा है…अब तो ऐसी परिस्थिति हो गई की अब काम करना भी संभव नहीं हो पा रहा है..हम कुछ भी काम करें लेकिन परिचर्चा में एक ही बात है..
‘राहुल गांधी केवल देखते रह गए’

नीतीश कुमार- 
हमने राहुल जी से भी बात की और आप सब जानते हैं उनका अब तक जो रूख रहा है..उसको देखते हुए क्योंकि उन्होंने आर्डिनेंस फाड़ा था..बिहार में भी जो कांग्रेस के अध्यक्ष है, उनसे भी हमने कहा कि कुछ ऐसा कीजिए की सबको एक रास्ता मिले..लेकिन उनको ऐसा नहीं लग रहा था.. बिना वजह की ये बात संवादहीनता है…इसीलिए समस्या का हल हो जाएगा, ऐसी कोई बात नहीं है..
‘बेटे पर घोटाले का आरोप, चुप रहे लालू’

नीतीश कुमार-
लालू जी के साथ, आरजेडी के साथ कोई संवादहीनता नहीं थी..हमने अपनी बात कह दी…अब उनको गौर करना था..अब अपेक्षा होती है कि साहब संकट है तो रक्षा करो..यहां कोई संकट नहीं है..ये अपने आप लाया गया संकट है…इसको संकट नहीं कहते..आखिरकार आरोप लगाया है, उसका उत्तर देना चाहिए…अगर स्पष्ट कर देते तो हम लोगों को भी आधार मिलता..हमने इसलिए इंतजार किया कि वो कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं..कहना नहीं चाहते हैं..ऐसी स्थिति में मैं अब जवाब तो नहीं दे सकता..सरकार का नेतृत्व कर रहा हूं..सरकार के अंदर के व्यक्ति के बारे कुछ बातें कहीं जाती हैं..हम कुछ कहने की स्थिति में न हो वैसी स्थिति में इस प्रकार की सरकार को चलाने में मेरे सामने कोई आधार नहीं है..जब तक चला सकते थे चला दिया..अब मेरे स्वभाव और काम करने के तरीकों के अनुरूप नहीं है…हमने सब लोगों से अपनी बात कही है..ऐसा नहीं है कि कोई छिपी हुई बात है..
‘लालू से कभी सोच नहीं मिली’

नीतीश कुमार- 
ऐसी परिस्थिति में जब ये वातावरण बन गया तब हमारी क्या भूमिका है..क्या कर्तव्य है..इसलिए मुझे ऐसा लगा कि सोच का दायरा भी अलग है..न कोई डिसकोर्स है… न कोई एजेंडा है..सिर्फ रिएक्टिव एजेंडा पर कोई काम चलने वाला है नहीं..उसके लिए बात होनी चाहिए थी लेकिन उसपर कोई चर्चा नहीं हुई…हमने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया..और उसके बाद अंततोगत्वा जिस बिहार में काम कर रहे हैं उस बिहार कि ऐसी स्थिति हो जाए..यहां के जनमत से और किसी बात की चर्चा हो ही नहीं रही..ऐसी परिस्थिति में अगर हम अपनी तरफ से अब तक की, जो हमारी सोच है, उसके अनुरूप अगर हम अपना स्टैंड नहीं लेंगे तो फिर यह उचित नहीं होगा..इसलिए हमने अपनी अंतरआत्मा की आवाज़ सुनी..हमने समझा जब मेरे जैसे व्यक्ति के लिए इस सरकार का चलाना संभव नहीं है…इसलिए हमने यह तय किया…
‘सिद्धांतों से समझौता मंजूर नहीं करूंगा’

नीतीश कुमार- 
हम किसी के खिलाफ कोई विवाद नहीं करना चाहते..चारों तरफ ये चर्चा हो रही थी, नहीं देंगे इस्तीफा..अब इसका कोई मतलब नहीं रह गया है…हम इस तरह की राजनीति करते ही नहीं है…हमने देख लिया कि कोई रास्ता नहीं है, तो खुद ही नमस्कार करो, खुद ही वो जगह त्याग दो..हमने वो जगह त्याग दिया है…और जो मेरा विचार है..और अब तक का जो हमारा काम करने का तौर तरीका है..हम अब तक उस पर काम करते रहे..और जब लगा कि उस आधार, उस तौर तरीके पर काम नहीं कर सकते, तो हमने मुनासिब समझा अपने आप को अलग करने में…आज मैंने अपने आप को अलग कर लिया….मैं किसी को कोई ब्लेम नहीं कर रहा हूं…मैंने अपने आप ये सोच लिया, कि अब संभव नहीं है…हमने पूरा प्रयत्न किया है पिछले पंद्रह दिनों में, कि कोई रास्ता निकले..लेकिन सारी बातें सतही हो रही थी..और वैसी बातों से हम लोगों को फेस नहीं कर सकते..मेरे लिए मेरे दो मूल सिद्धांतों से कोई समझौता करना संभव नहीं है…खुद ही हमने हिम्मत की है..जितनी भी मेरे पास क्षमता है हमने काम किया है…
‘नोटबंदी का साथ तो लालू ने बदनाम किया’

नीतीश कुमार- 
नोटबंदी का मसला आया, हमने नोटबंदी का समर्थन किया..मेरे ऊपर न जाने क्या क्या आरोप लगने लगे..आप भी ये जानते हैं कि जब हम नोटबंदी का समर्थन कर रहे थे, हमने साफ साफ कहा कि बेनामी संपत्ति पर हिट कीजिए..तो हम कैसे पीछे जाते.. लोगों में नोटबंदी का अच्छा प्रभाव मिल रहा था खासकर आम लोगों में, गरीबों में और हमने साफ साफ कहा कि बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई कीजिए..गांधी जी ने कहा कि धरती पर लोगों की जरूरत की पूर्ति होगी लेकिन लालच की नहीं…मैं ये हमेशा कहता रहा हूं..कि संपत्ति अर्जित करना गलत तरीके से ..आखिर ये क्या प्रवृत्ति है..और हम बार बार कहते रहे हैं अपने भाषणों में कि, कफन में कोई जेब नहीं होता..जो भी है यहीं रहेगा..तो हम ऐसी बात करते रहे हैं..
‘कोविंद का साथ तो लालू ने कोसा’

नीतीश कुमार- 
हम तो विपक्षी एकता के पक्षधर हैं..लेकिन किस प्रकार की विपक्षी एकता? विपक्षी एकता का कोई एजेंडा होना चाहिए..पार्टी के नाते, व्यक्ति के नाते, अगर हम लोगों की ये सोच है, तो क्या हम अपनी सोच को प्रकट नहीं कर सकते?  क्या नोटबंदी का प्रश्न हो या कोई भी प्रश्न हो..अभी राष्ट्रपति महोदय के चुनाव के सवाल पर, हमने साफतौर पर कहा कि हमारे बिहार के गर्वनर रहे हैं, बिहार के लिए गौरव की बात है वो राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं..इतना अच्छा काम किया तो हम लोगों ने तय किया की समर्थन देंगे..इस बात को लेकर न जाने मेरे ऊपर क्या क्या आरोप लगाए गए?
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